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रामनगर की रामलीला: रावण ने बजाया युद्ध का डंका, इंद्र ने श्रीराम के लिए रथ भेजा


रामनगर, वाराणसी: युद्ध में रावण अपनी लगातार पराजय को देखते हुए महल में यज्ञ करने लगा। तभी विभीषण ने राम को बताया कि वह यज्ञ कर रहा है। जिसके पूरा होने पर वह नहीं मरेगा। उनके आदेश पर बानर, भालू जाकर उसका यज्ञ विध्वंस कर दिए। जिसके बाद उसने युद्ध का डंका बजा दिया।

इंद्र ने राम को रथ पर चढ़कर युद्ध करने के लिए रथ भेजा। राम अपने बाणों से उसकी माया को काट दिए। वे अपनी सेना को युद्ध करने से रोक दिए और कहने लगे कि तुम लोग हमारी और रावण के बीच अकेले युद्ध होने दो। वह राम और लक्ष्मण को क्रोध से रणभूमि में काल के हवाले करने की बात कहने लगा।

वह राम की बात सुनकर कहता है कि मुझे उपदेश देता है। बैर करते तुमको डर नहीं लगा‌ अब प्राण प्यारा लगता है। उसी समय विभीषण अपने भाई रावण की छाती पर गदा से प्रहार किया तो वह हाय,हाय कहकर भूमि पर गिर पड़ा। रावण के उठने पर हनुमान उससे भिड़ गए।

राम और रावण का युद्ध देखकर देवता कंदरा खोह में छिपने की बात करने लगे। रावण ने सभी देवताओं को दौड़ा लिया। यह देखकर राम की सेना के अंगद और बंदर, भालू उससे भिड़ गए। उसी समय जामवंत की प्रहार से रावण मूर्छित हो गया। उसका साथी उसे महल ले गया उधर अशोक वाटिका में बैठी सीता को त्रिजटा युद्ध का समाचार बताने लगी।

सीता जी सोचने लगी रावण कैसे मरेगा। वह विधाता और अपने भाग्य को कोसने लगी। त्रिजटा सीता को रावण के मरने का उपाय बता कर चली गई। सीता बिरह से दुखी हो उठीं।

तभी शकून होने लगा, जिसके बाद उनको विश्वास हो गया कि अब रावण अवश्य मरेगा। यहीं पर भगवान की आरती के बाद लीला को विश्राम दिया गया है।

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