DJ और पटाखों के बहिष्कार का संकल्प: साइलेंस जोन में पूर्ण शांति की गूंज
वाराणसी: सामाजिक संस्था सत्या फाउंडेशन द्वारा ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ एक महत्वपूर्ण जागरूकता अभियान के तहत, सेठ एम.आर. जयपुरिया स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने डी.जे. और पटाखों के पूर्ण बहिष्कार का संकल्प लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य दीपावली पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण और ध्वनि शोर से बचाव करना था, लेकिन इसके साथ ही विद्यार्थियों को जीवन भर के लिए उपयोगी सबक भी दिए गए।
सत्या फाउंडेशन के सचिव चेतन उपाध्याय ने कार्यक्रम की शुरुआत में ही स्पष्ट किया कि वह दबाव डालने या जबरन कुछ मनवाने नहीं आए हैं, बल्कि तर्क और विज्ञान के आधार पर समझाने आए हैं। उन्होंने संगीत और शोर के बीच के फर्क को समझाते हुए बताया कि ध्वनि प्रदूषण से न केवल मनुष्य बल्कि प्रकृति भी प्रभावित होती है। उदाहरण स्वरूप, उन्होंने कबीर दास जी का हवाला देते हुए कहा कि 500 साल पहले जब लाउडस्पीकर नहीं था, तब भी उन्होंने जोर से अल्लाह का नाम लेने की आलोचना की थी। इसी संदर्भ में आज के समय में डीजे और लाउडस्पीकर के उपयोग पर भी सवाल उठाए गए।
ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों पर चेतावनी
चिकित्सा शास्त्र का उल्लेख करते हुए उपाध्याय ने बताया कि डीजे और पटाखों से न केवल हृदयाघात हो सकता है, बल्कि गर्भपात की भी घटनाएं देखी गई हैं। उन्होंने हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने के समय की घटना को उद्धृत किया, जिसमें एक भीलनी का गर्भपात गर्जना के कारण हुआ था। उन्होंने साइलेंस जोन के कानूनी प्रावधानों पर भी जोर दिया और बताया कि स्कूल, अस्पताल, धार्मिक स्थल और कोर्ट-कचहरी के 100 मीटर के दायरे में ध्वनि प्रदूषण कानूनन अपराध है, जिसकी अनदेखी आज भी की जाती है।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
चेतन उपाध्याय ने कहा कि यह सरकार और प्रशासन का दायित्व है कि साइलेंस जोन के नियमों को सख्ती से लागू करें और ध्वनि प्रदूषण करने वाले तत्वों पर कठोर कार्रवाई करें। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वह अपने अभिभावकों को पटाखों और डीजे के प्रयोग से दूर रहने के लिए प्रेरित करें।
डॉ. प्रशांत बरनवाल की अपील
विशिष्ट वक्ता और प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रशांत बरनवाल ने भी कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि दीपावली पर पटाखे जलाने से दुर्घटनाएं हो सकती हैं, जो जीवन भर के लिए हाथों को बेकार बना सकती हैं। उन्होंने अपने परिवार के उदाहरण से समझाया कि कैसे उनके बच्चों ने पटाखे छोड़ने का संकल्प लिया और इसके बाद उनके पूरे परिवार ने भी पटाखों का प्रयोग बंद कर दिया।
कार्यक्रम के अंत में चेतन उपाध्याय ने एक भावुक अपील करते हुए कहा कि यदि आपको डी.जे. और पटाखों का शौक है, तो इंटरनेट से उनकी आवाज़ और वीडियो डाउनलोड कर हेडफोन से सुनें, लेकिन दूसरों को परेशान न करें।