9 सितंबर: व्रत और त्योहारों का विशेष दिन, आइए जानते हैं आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नई दिल्ली: 9 सितंबर का दिन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। आइए जानते हैं आज के प्रमुख व्रत और त्योहारों के बारे में:
1. ऋषि पंचमी
- महत्व: ऋषि पंचमी का व्रत मुख्य रूप से महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा और उनके आशीर्वाद के लिए करती हैं। यह व्रत पिछले जन्मों के पापों को शुद्ध करने के लिए माना जाता है। इस दिन व्रती गंगा स्नान करके सप्त ऋषियों का विधिपूर्वक पूजन करती हैं।
- कथा: हिंदू मान्यता के अनुसार, ऋषि पंचमी व्रत करने से महिलाओं के उन पापों का शमन होता है, जो उनके पिछले जन्मों में जाने-अनजाने में हुए होते हैं।
2. महालय पाख की शुरुआत
- महत्व: 9 सितंबर से महालय पाख की शुरुआत होती है, जिसे पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है। यह समय पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने का होता है। हिंदू परिवार इस दौरान अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न धार्मिक कर्मकांड करते हैं।
- धार्मिक मान्यता: इस अवधि में किए गए तर्पण और श्राद्ध कर्म से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और उनका आशीर्वाद परिवार को समृद्धि प्रदान करता है।
3. जैन पर्युषण पर्व का समापन
- महत्व: जैन धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक, पर्युषण पर्व का समापन 9 सितंबर को होता है। इस पर्व के अंतिम दिन को “क्षमावाणी” के रूप में मनाया जाता है, जिसमें जैन अनुयायी एक-दूसरे से और समस्त जीवों से क्षमा मांगते हैं। यह आत्मशुद्धि और आत्मसंयम का पर्व है।
- धार्मिक महत्व: पर्युषण के अंतिम दिन, जैन धर्म के अनुयायी अपने विचारों और कर्मों की शुद्धि के लिए उपवास और ध्यान करते हैं। इस दिन क्षमा मांगने की परंपरा के तहत सभी एक-दूसरे से और प्रकृति से माफी मांगते हैं।
4. विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस
- महत्व: 9 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस भी मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आत्महत्या की घटनाओं पर जागरूकता बढ़ाना और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देना है।
- सामाजिक महत्व: इस दिन कई संगठन और संस्थाएं आत्महत्या रोकने के लिए अभियान चलाते हैं और लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते हैं।