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पितृपक्ष का समय: क्या खरीदना चाहिए और किन चीजों की खरीदारी से बचना चाहिए?

नई दिल्ली: पितृपक्ष का समय हिंदू धर्म में पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का विशेष समय होता है। इस दौरान पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध जैसे कर्मकांड किए जाते हैं ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिले। पितृपक्ष में बहुत सी मान्यताएं और परंपराएं हैं जिनका पालन करने पर जोर दिया जाता है। खासतौर पर, इस दौरान कुछ चीजों की खरीदारी से बचने की सलाह दी जाती है। आइए जानें पितृपक्ष में किन चीजों को खरीदना चाहिए और किन्हें नहीं।

पितृपक्ष में क्या खरीदना चाहिए

  1. धार्मिक सामग्री: इस समय पूजा-पाठ और तर्पण के लिए आवश्यक पूजा सामग्री खरीदना शुभ माना जाता है। जैसे कि फूल, चावल, तिल, और पिंडदान के लिए विशेष वस्त्र आदि। इनका उपयोग श्राद्ध कर्म में होता है।
  2. साफ-सफाई के सामान: घर को स्वच्छ और पवित्र रखना पितृपक्ष में महत्वपूर्ण है। इस दौरान झाड़ू, पोछा, और साफ-सफाई के सामान खरीदने में कोई दोष नहीं है।
  3. भोजन और अनाज: पितृपक्ष में पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्मों में उपयोग होने वाले अनाज, फल, मिठाई आदि खरीदना उचित होता है। इससे पितरों को संतुष्ट किया जाता है।
  4. दान सामग्री: इस समय दान का विशेष महत्व होता है। आप गरीबों और जरूरतमंदों के लिए अन्न, वस्त्र, और अन्य आवश्यक चीजें खरीद सकते हैं और उन्हें दान कर सकते हैं। यह पितरों को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।

पितृपक्ष में किन चीजों की खरीदारी से बचना चाहिए

  1. नया घर या भूमि: पितृपक्ष को शुभ कार्यों के लिए सही समय नहीं माना जाता। नए घर या जमीन खरीदने से बचें, क्योंकि यह समय मृत्यु और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है, न कि नए कार्यों की शुरुआत के लिए।
  2. नई वस्त्र और गहने: पितृपक्ष में नए वस्त्र या गहने खरीदने की मनाही है। इस समय को त्याग और सादगी से जोड़ा जाता है, और नए सामानों की खरीदारी को पितृ दोष का कारण माना जाता है।
  3. वाहन: इस समय वाहन या इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना अशुभ माना जाता है। लोग आमतौर पर पितृपक्ष के दौरान नए वाहन खरीदने से परहेज करते हैं, ताकि किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा या दोष से बचा जा सके।
  4. शुभ कार्यों से संबंधित चीजें: शादी-ब्याह, गृह प्रवेश या नामकरण से जुड़ी चीजें खरीदने से भी इस समय बचना चाहिए। यह समय उन कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होता जिन्हें शुभ अवसरों के तौर पर मनाया जाता है।

पितृपक्ष में संयम और सादगी है मुख्य बात

पितृपक्ष के दौरान संयम और सादगी पर विशेष जोर दिया जाता है। इस समय शुभ कार्यों से दूर रहना और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। धार्मिक और तर्पण से जुड़े सामान खरीदना इस समय उचित होता है, लेकिन नई चीजों की खरीदारी से परहेज करना चाहिए ताकि पितृ दोष से बचा जा सके।

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