पितृपक्ष में किस रंग के तिल का क्या महत्व है: जानें धार्मिक और पारंपरिक धारणाएं
पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान की महत्ता सबसे अधिक मानी जाती है। इन कर्मकांडों में तिल का विशेष स्थान होता है। शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तिल के विभिन्न रंगों का पितरों की संतुष्टि और तृप्ति में अलग-अलग महत्व है। तिल का उपयोग न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि यह पितरों को मोक्ष और शांति प्रदान करने में सहायक माना जाता है।
काले तिल: पितरों की तृप्ति और मोक्ष के लिए
पितृपक्ष के दौरान काले तिल का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है। मान्यता है कि काले तिल से तर्पण और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। काले तिल का धार्मिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है और पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है। श्राद्ध कर्म में इसका उपयोग तर्पण और हवन में होता है।
सफेद तिल: पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक
सफेद तिल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। श्राद्ध कर्मों में सफेद तिल का उपयोग पवित्रता और शुद्धता को दर्शाता है। इसे पिंडदान में भी शामिल किया जाता है, जो पूर्वजों के प्रति शुद्ध और सात्विक भावनाओं का प्रतीक होता है। सफेद तिल से किए गए तर्पण से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद घर-परिवार पर बना रहता है।
लाल तिल: समृद्धि और उन्नति की कामना के लिए
लाल तिल का उपयोग विशेष रूप से उन श्राद्ध कर्मों में किया जाता है, जहां पितरों से परिवार की समृद्धि और उन्नति की कामना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि लाल तिल से तर्पण करने से पितर संतुष्ट होकर घर में धन, वैभव और उन्नति का आशीर्वाद देते हैं।
तिल का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
तिल, धार्मिक रूप से तो महत्वपूर्ण है ही, इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। तिल में नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने और सकारात्मक ऊर्जा फैलाने की शक्ति होती है। श्राद्ध कर्मों में तिल का उपयोग आत्मा की शुद्धि और तृप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है।
श्राद्ध में तिल का उपयोग कैसे करें
श्राद्ध कर्म में तिल का उपयोग तर्पण, पिंडदान और हवन में किया जाता है। तर्पण के दौरान जल में काले तिल मिलाकर पितरों को अर्पित किया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है। पिंडदान में तिल को आटे के साथ मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं, जो पूर्वजों को अर्पित किए जाते हैं।
निष्कर्ष: पितृपक्ष के दौरान तिल का विशेष महत्व है और हर रंग के तिल का अलग-अलग धार्मिक अर्थ है। काले, सफेद और लाल तिल के उपयोग से पितर तृप्त होते हैं और उनके आशीर्वाद से परिवार को समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।