उत्तर प्रदेश जीआई टैग उत्पादों में देश में नंबर वन: यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में दिखाएगा जलवा
25 से 29 सितंबर को ग्रेटर नोएडा में होगा यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो
वाराणसी: उत्तर प्रदेश जीआई (जियोग्राफिकल इंडीकेटर) टैग वाले उत्पादों के मामले में देश में शीर्ष स्थान पर है। योगी सरकार की प्रयासों के परिणामस्वरूप, प्रदेश में 75 जीआई टैग वाले उत्पाद पंजीकृत हैं, जिसमें हस्तशिल्प और कृषि उत्पादों का बड़ा योगदान है। काशी क्षेत्र में 23 जीआई टैग उत्पाद यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में अपनी उत्कृष्टता का प्रदर्शन करेंगे।
उत्कृष्टता का अनावरण
उत्तर प्रदेश के जीआई उत्पादों को 25 से 29 सितंबर तक ग्रेटर नोएडा में आयोजित होने वाले यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में प्रदर्शित किया जाएगा। यहां विभिन्न श्रेणियों के जीआई उत्पादों के लिए अलग पवेलियन बनाया गया है, जहां हस्तशिल्प, हैंडलूम और विशेष खाद्य उत्पादों को दर्शाया जाएगा। काशी, जिसे जीआई टैग उत्पादों का केंद्र माना जाता है, यहां के समृद्ध हस्तशिल्प की विरासत को प्रस्तुत करेगा।
जीआई उत्पादों का महत्व
जीआई एक्सपर्ट पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बताया कि उत्तर प्रदेश में जीआई उत्पादों की संख्या और विविधता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2014 से पहले काशी क्षेत्र में केवल 2 जीआई उत्पाद पंजीकृत थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 25 हो गई है। काशी क्षेत्र में जीआई उत्पादों का सालाना कारोबार लगभग 22,500 करोड़ रुपये है, जिसमें 12 से 15 लाख लोग जुड़े हुए हैं, जिनमें 30% महिलाएं हैं।
महिलाओं का सशक्तिकरण
यूपी सरकार ने न केवल जीआई उत्पादों को बढ़ावा दिया है, बल्कि महिला हस्तशिल्पियों के लिए भी कई योजनाएं लागू की हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिससे वे अपनी कला को जीवित रख सकें और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकें।
आर्थिक विकास में योगदान
जीआई उत्पादों की इस बढ़ती हुई संख्या और गुणवत्ता उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीआई उत्पादों और ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
इस प्रकार, यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में उत्तर प्रदेश के जीआई उत्पादों का प्रदर्शन न केवल राज्य की धरोहर को बढ़ावा देगा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।