कहानी की आत्मा है किस्सागोई: उदय प्रताप कॉलेज में अलका सरावगी का प्रेरणादायक व्याख्यान
वाराणसी, शिवपुर: उदय प्रताप कॉलेज के राजर्षि सेमिनार हॉल में बुधवार को हिंदी विभाग द्वारा “किस्सागोई बनाम कथा लेखन” विषय पर एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसमें साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित लेखिका अलका सरावगी ने अपने विचार साझा किए।
इस विशेष व्याख्यान में अलका सरावगी ने किस्सागोई की शक्ति को कहानी का प्राण बताया। उन्होंने कहा कि किस्सागोई के माध्यम से कहानी में पाठक का ध्यान संपूर्णता से जुड़ा रहता है। लेखन में विविधता पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कहानी लिखने का कोई एक तरीका नहीं होता, बल्कि समय के साथ कथानक में भी बदलाव आते हैं।
अपने चर्चित उपन्यास “कलिकथा वाया बाईपास” का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि यह कथा प्रवासी व्यक्ति की पीड़ा और नॉस्टेल्जिया पर आधारित है, जो आधुनिकता के दौर में परंपराओं के टूटने को दर्शाती है।
अलका सरावगी ने अपने नए उपन्यास “गांधी और सरला देवी चौधरानी: बारह अध्याय” पर भी चर्चा की। उन्होंने सरला देवी को स्त्री मुक्ति की पुरोधा बताया और गांधीजी के साथ उनके रागात्मक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें राष्ट्रपिता गांधी को एक मानवीय दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बलिराज पांडेय ने कहा कि चाहे समय के साथ कहानी के रूप में बदलाव क्यों न आ जाए, किस्सागोई हमेशा कहानी की आत्मा बनी रहेगी। अलका सरावगी की रचनाओं में सांप्रदायिकता और विस्थापन जैसी समस्याओं पर उनके ध्यान की सराहना करते हुए उन्होंने इसे आज के समय के लिए एक आवश्यक आत्मनिरीक्षण का समय बताया।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया, कार्यक्रम का संचालन प्रो. गोरखनाथ ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. मधु सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. चंद्रकला त्रिपाठी, प्रो. शाहीना रिजवी, और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।