धर्म-कर्म वाराणसी 

गुरु नानक देव जी का 555वां प्रकाश पर्व: सरदार कुलदीप बोले- प्रेम, सद्भाव और समाज सुधार की दिशा में प्रेरणा

रामनगर, वाराणसी: “गुरु बिन घोर अंधार,” इन अमूल्य शब्दों के माध्यम से गुरु नानक देव जी ने आध्यात्मिक मार्ग की महत्ता का वर्णन किया। पंजाबी महासभा के अध्यक्ष और काशी रत्न सरदार कुलदीप सिंह ने गुरु नानक देव जी के उपदेशों और शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु नानक देव जी के विचार हमें सर्वव्यापी और निरंकार प्रभु की ओर ले जाते हैं, जो कण-कण में विद्यमान है और किसी की रचना नहीं है। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों में सकारात्मकता और निस्वार्थ सेवा का संदेश दिया है।

गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन माता तृप्ता और पिता कालू मेहता जी के घर तलवंडी साहिब में हुआ, जो अब पाकिस्तान में स्थित है। आज उनके जन्म के 555 वर्ष पूरे हो चुके हैं, और उनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं। गुरु नानक देव जी ने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, भेदभाव और जात-पात के भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया और जीवन को सद्भावना, समभाव और प्रेम से जीने का संदेश दिया।

सरदार कुलदीप सिंह ने गुरु नानक जी के प्रसिद्ध शबद “जो सौ चंदा उगवै, सूरज चढे हजार, एते चानन होंदया, गुरु बिन घोर अंधार” का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु के बिना आत्मज्ञान का मार्ग अधूरा है। उन्होंने सभी संगत को गुरु पर्व की शुभकामनाएं दीं और गुरु जी की शिक्षाओं पर चलते हुए समाज में प्रेम और समता की भावना को बनाए रखने का आह्वान किया।

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