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अघोरपीठ बाबा कीनाराम स्थल : लोलार्क षष्ठी का भव्य आयोजन, धूमधाम से मनाई गई छठी

वाराणसी: वाराणसी स्थित विश्वविख्यात अघोरपीठ ‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’ पर हर साल की तरह इस बार भी अघोर-परंपरा का सबसे बड़ा पर्व, ‘लोलार्क षष्ठी’, हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। यह पर्व अघोराचार्य बाबा कीनाराम जी के जन्म के बाद छठवें दिन मनाया जाता है, जिसे ‘छठी पर्व’ भी कहा जाता है। इस बार यह पर्व 9 सितंबर को हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में बड़े धूमधाम से आयोजित किया गया।

श्रद्धालुओं का जमावड़ा और भव्य आयोजन

7 सितंबर से ही देश और विदेश से हजारों श्रद्धालु बाबा कीनाराम स्थल पर पहुंचने लगे थे। आश्रम परिसर में भक्तों का तांता लगा रहा, जिनका एकमात्र उद्देश्य अपने आराध्य अघोराचार्य बाबा कीनाराम जी को श्रद्धासुमन अर्पित करना और वर्तमान पीठाधीश्वर अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी का दर्शन कर कृतार्थ होना था।

9 सितंबर की सुबह से ही श्रद्धालु आश्रम परिसर के बाहर लंबी कतारों में खड़े थे। सुबह 8:30 बजे जैसे ही अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी अपने कक्ष से बाहर आए, पूरा परिसर हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद बाबा कीनाराम जी और अन्य अघोरेश्वर महाप्रभुओं की समाधियों पर पूजा-अर्चना की गई। दर्शन-पूजन का यह सिलसिला दोपहर बाद तक जारी रहा।

महिलाओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र

संतान प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए लोलार्क कुण्ड में महिलाओं द्वारा स्नान की परंपरा भी इस दिन विशेष आकर्षण का केंद्र रही। स्नान के बाद महिलाएं बाबा कीनाराम स्थल स्थित ‘क्रीं-कुण्ड’ में स्नान कर अपनी मनोकामनाओं के पूर्ति की प्रार्थना करती हैं। हालांकि, जहां लोलार्क कुण्ड में स्नान का अवसर साल में एक बार मिलता है, वहीं ‘क्रीं-कुण्ड’ में सप्ताह में दो बार (मंगलवार और रविवार) यह अवसर मिलता है।

विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन

इस अवसर पर ‘अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान’ के तत्वाधान में महिला मंडल द्वारा एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 60 लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया।

सुरक्षा और व्यवस्था पर प्रशासन की पैनी नजर

लोलार्क षष्ठी के दौरान हजारों की भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने एक सप्ताह पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। वरिष्ठ अधिकारी लगातार आश्रम परिसर का मुआयना कर रहे थे, जिससे कार्यक्रम के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था ना हो।

मेला और खानपान का आनंद

आश्रम परिसर के बाहर मेले जैसा दृश्य था। बड़ी संख्या में लगी दुकानों में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के बाद खरीदारी और स्थानीय व्यंजनों का आनंद उठाते दिखे।

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