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शारदीय नवरात्र: कैसे करें मां भगवती की पूजा, जानें विधि और महत्व

वाराणसी: शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म में माता दुर्गा की उपासना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में भक्त माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इस पवित्र पर्व की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। कलश स्थापना करने के बाद भक्तों को पूरे विधि-विधान से माता की आराधना करनी चाहिए। आइए जानते हैं, कलश स्थापना के बाद पूजा की सही विधि और उसका महत्व।

कलश स्थापना का महत्व

कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन की सबसे प्रमुख क्रिया होती है। इसे शुभ और मंगलकारी कार्यों की शुरुआत माना जाता है। कलश में भगवान गणेश, नवग्रह, मातृका और सभी तीर्थों का वास माना जाता है, इसलिए इसे देवताओं की कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है। कलश स्थापना करने से पहले भक्त अपने घर के पूजा स्थल को शुद्ध और पवित्र करते हैं।

कलश स्थापना के बाद कैसे करें पूजा?

  1. माँ दुर्गा का आह्वान: कलश स्थापना के बाद सबसे पहले माता दुर्गा का आह्वान किया जाता है। इसके लिए श्रद्धा और भक्ति से माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें।
  2. नौ रूपों की पूजा: नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक-एक रूप की पूजा की जाती है। कलश स्थापना के दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करें। इसके बाद अगले दिनों में क्रमशः ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा करें।
  3. संपूर्ण विधि-विधान से आरती: नवरात्रि के हर दिन देवी माँ की पूजा के बाद आरती करना अनिवार्य होता है। पूजा के समय धूप, दीप, नैवेद्य, फल और मिठाई माँ को अर्पित करें। माँ दुर्गा की आरती गाकर उन्हें प्रसन्न करें।
  4. नवदुर्गा स्त्रोत का पाठ: नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के साथ-साथ ‘दुर्गा सप्तशती’ या ‘दुर्गा चालीसा’ का पाठ करना भी लाभकारी होता है। यह पाठ आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
  5. अखंड ज्योत जलाना: कलश स्थापना के बाद अखंड ज्योत जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस ज्योत का निरंतर जलते रहना नवरात्रि के दौरान विशेष महत्व रखता है, जो कि माँ दुर्गा की कृपा का प्रतीक होता है।
  6. व्रत और संकल्प: भक्तजन इस पवित्र अवसर पर व्रत रख सकते हैं और माँ से अपनी मनोकामना पूर्ण होने का संकल्प ले सकते हैं। पूजा के दौरान संकल्प लेकर ही देवी माँ की उपासना करनी चाहिए।

पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:

  • कलश स्थापना और पूजा के दौरान शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
  • नवरात्रि के दौरान संयमित और सात्विक आहार का पालन करें।
  • किसी भी दिन पूजा या आरती में लापरवाही न बरतें और माँ दुर्गा की पूजा पूरी श्रद्धा से करें।

कलश स्थापना से जुड़ी मान्यताएँ

कलश को धन, समृद्धि, और जीवन का प्रतीक माना जाता है। इसे सुख-शांति, शक्ति और मां दुर्गा के आशीर्वाद के रूप में स्थापित किया जाता है। कलश स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी बाधाएँ दूर होती हैं।

इस नवरात्रि में सही विधि से पूजा करके माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करें।

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