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कन्या और भैरव पूजन: बाबा कीनाराम स्थल क्रीं कुण्ड में श्रद्धा-भक्ति संग मनाई गई नवमी

वाराणसी: श्रद्धा, भक्ति, आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाने वाला शारदीय नवरात्र का 9 दिनों का पर्व 11 अक्टूबर को ‘नवमी कन्या पूजन’ के साथ संपन्न हुआ। 9 दिनों तक देवी मां के अलग-अलग रूपों की आराधना के बाद पर्व के आखिरी दिन, जिसे नवमी कहा जाता है, धूमधाम से देवी मां की विदाई की जाती है।

इस दिन छोटी-छोटी कन्याओं को देवी के अलग-अलग रूपों में श्रृंगार कर उन्हें पूजा जाता है, जिसे ‘नवमी कन्या पूजन’ कहते हैं। इसी कड़ी में रविन्द्रपुरी स्थित विश्वविख्यात अघोरपीठ, ‘बाबा कीनाराम स्थल क्रीं-कुण्ड’ में शुक्रवार की सुबह आश्रम की साफ-सफाई और दैनिक आरती-पूजन के बाद ‘नवमी कन्या पूजन’ की शुरुआत हुई।

यहां के पीठाधीश्वर अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम की देखरेख में नवमी पूजा का प्रारंभ सभी 9 कन्याओं का श्रृंगार कर उन्हें देवी रूप में और एक बालक का श्रृंगार कर उन्हें भैरव बाबा के रूप में प्रतिष्ठित करने के साथ हुआ। स्वयं पीठाधीश्वर द्वारा सभी देवी स्वरूप में बाल कन्याओं और भैरव रूप में बालक के पांव पखारे गए।

इसके बाद सभी 9 देवी और भैरव की विधि-सम्मत पूजा कर उनकी आरती उतारी गई। सभी देवियों और भैरव जी को विभिन्न पकवानों का भोग लगाया गया और उन्हें तृप्त कराकर पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया गया।

अघोरपीठ में मनाए गए इस ‘नवमी कन्या पूजन’ के दौरान ‘जय मां सर्वेश्वरी’ और ‘हर-हर महादेव’ का उद्घोष लगातार गूंजता रहा। बाद में भंडारे के तहत हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

मीडिया प्रभारी संजय सिंह ने बताया कि ‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं कुण्ड’ में नवरात्र का पर्व और ‘नवमी कन्या पूजन’ को देखने के लिए देश और दुनिया के साधक-महात्माओं के अलावा आम श्रद्धालुजन भी बड़ी संख्या में यहां आते हैं।

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