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नवग्रह वाटिका और त्रिवेणी वृक्षारोपण : वृक्षारोपण क्यों जरूरी है, त्रिवेणी वृक्षों के उपयोग कैसे करेंगे?

Varanasi : पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण में वृक्षों की कटाई और पर्यावण पर उसके दुष्प्रभाव की ओर लोगों का ध्यान कराते हुए आज एएसआर दीप ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अखिलेश और पुलिस उपमहानिरीक्षक रेंज ने सहयोग दिया। पुलिस उपमहानिरीक्षक ने अपने विचारों के तहत समाज को एकजुट होने के साथ ही पर्यावरण को सुरक्षित रखने के कई स्तरों को बताया।

एएसआर दीप के चेयरमैन डॉ. अखिलेश ने पर्यावरण के लिए वृक्षारोपण क्यों जरूरी है नवग्रह वाटिका और त्रिवेणी वृक्षों के उपयोग को बताया। वृक्षारोपण हुआ, जिसके तहत नवग्रह वाटिका और त्रिवेणी के पौधों को लगाया गया, सभी ने इन पौधों की सुरक्षा का संकल्प भी लिया।

दरअसल, नवग्रह वन का प्रयोग नवग्रह शक्ति के लिए किया जाता है। नवग्रह वन नौ ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को वास्तु की सहायता से कम करते हैं। यह वास्तु ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसमें पौधे उगाकर वास्तु दोष को कम किया जाता है।

नवग्रह वाटिका बागवानी तकनीकों का प्रतीक है, जो नौ विशेष पौधों (जो नौ ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं) को उचित दिशाओं में लगाकर किया जाता है। नवग्रह वाटिका राशि या नक्षत्र वाटिका से निकटता से संबंधित है, जो पवित्र स्थानों के करीब स्थापित की जाती है, अर्थात ज्योतिषीय रूप से नियोजित उद्यान।

भारत हर्बल पौधों और पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के अपने विशाल संवर्धन के लिए प्रसिद्ध है। नवग्रह पौधों में नौ हर्बल पौधों का एक समूह होता है जो आकाशीय प्रणाली में हमारे नौ ग्रहों को दर्शाता है। एक बगीचे में सभी नौ हर्बल पौधों का संयोजन अच्छा स्वास्थ्य, समृद्धि और धन लाता है। इन नवग्रह जड़ी बूटियों में विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज करने की क्षमता है। सभी जड़ी बूटियों का उपयोग प्राचीन काल से किया जाता रहा है।

जानें इनके कुछ लाभ

1. नवग्रह वाटिका या उद्यान का उपयोग नवग्रह की शक्ति प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

2. यह 9 ग्रहों के बुरे प्रभाव से जातक की रक्षा करता है।

3. इससे वास्तु दोष का भी निवारण होता है ।

4. यह व्यक्ति को स्वस्थ और संपन्न जीवन प्रदान करता है।

5. यह विभिन्न रोगों से बचाता है।

6. नवग्रह वाटिका वास्तु को एक नया रूप देता है जो की सभी दृष्टि से शुभ होता है।

7. यदि शुभ मुहूर्त और सही दिशा में इसे बनाया जाए तो इसमें कोई संशय नहीं की ये सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ा देता है।

नवग्रह वाटिका कहां बना सकते हैं?

यह न सिर्फ आपके वास्तु की सुंदरता को बढ़ाएगा अपितु आपके वास्तु की ऊर्जा को भी बढ़ाएगा। इसे आप कहीं भी बना सकते हैं उपलब्ध जगह अनुसार जैसे-

1. ऑफीस में

2. होटल में

3. औद्योगिक क्षेत्र

4. बंगले में

5. फार्म हाउस

6. घर की छत पर

कौन सी दिशा में कौन सा पौधा लगेगा?

1. श्वेतार्क या कैलोट्रोपिस सूर्य का प्रतिनिधित्व करता हैं और इसे वाटिका के मध्य या केंद्र में लगाया जाता है।

2. पलाश या ब्यूटिया मोनोस्पर्मा चन्द्र का पतिनिधित्व करता है और इसे दक्षिण पूर्व दिशा में लगाया जाता है।

3. कधिरा या नला सैंड्रा या बबूल मंगल का प्रतिनिधित्व करता हैं और दक्षिण दिशा में लगाया जाता हैं।

4. अपामार्ग या अचिरन्थस एस्पेरा बुध का प्रतिनिधित्व करता है और इसे उत्तर दिशा में लगाया जाता है।

5. पीपल या अश्वथ या फिकस रिलिजिउसा गुरु या बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता हैं और उत्तर+पूर्व दिशा में लगाए जाते हैं।

6. अंजीर या फिग या फ़िकस रेसमोसा शुक्र का प्रतिनिधित्व करता है और पूर्व या फिर पूर्व- दक्षिण दिशा में लगाया जाता है।

7. शमी या प्रोसोपिस सेननेरिया शनि का प्रतिनिधित्व करता है और पश्चिम दिशा में लगाया जाता है।

8. दुर्वा या सिनोडोन डैक्टिलोन राहु का प्रतिनिधित्व करता है और दक्षिण पश्चिम दिशा में लगाया जाता है।

9. दरभा या इम्पीटा साइलिंड्रीका या थेच ग्रास केतु का प्रतिनिधित्व करता है और उत्तर पश्चिम दिशा में लगाया जाता है।

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