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पितृ पक्ष: श्रद्धा अर्पित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर, जानिए दर्शन-पूजन का महत्व और धार्मिक दृष्टिकोण

पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह समय पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का होता है, और इस दौरान दर्शन पूजन करने की परंपरा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

क्या है पितृ पक्ष?


पितृ पक्ष का यह पर्व प्रतिवर्ष कुर्वनदोष के दौरान आता है, जो आमतौर पर भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें अर्पित तर्पण एवं श्राद्ध करते हैं।

दर्शन पूजन का महत्व

  1. पूर्वजों का सम्मान: पितृ पक्ष में पूजन करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इसे श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
  2. आशीर्वाद प्राप्ति: इस दौरान पूजा करने से परिवार को पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  3. परिवार की एकता: इस अवसर पर परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं, जिससे आपसी संबंध और भी मजबूत होते हैं।
  4. धार्मिक कर्तव्य: हिंदू धर्म में पितरों के प्रति कृतज्ञता अदा करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य है, जो श्राद्ध के माध्यम से पूर्ण होता है।

क्या नहीं करना चाहिए?


कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान मौन रहना और अनुष्ठान में संलग्न होना आवश्यक है। इससे भक्तिपूर्वक श्रद्धा व्यक्त होती है। इसके अलावा, किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार या कार्य से बचना चाहिए।

निष्कर्ष


पितृ पक्ष में दर्शन पूजन करना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा अर्पित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। यह परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और एकता का संचार करता है। इसलिए, इस दौरान दर्शन पूजन करना न केवल आवश्यक है, बल्कि यह एक पुण्य कार्य भी है।

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