स्वार्थी लोग: जैसे एकल नाटक चल रहा हो, वो खुद को प्रैक्टिकल मानते हैं, भले ही बाकी दुनिया उन्हें…
व्यंग्य
हमारे समाज में स्वार्थी लोगों की कोई कमी नहीं है। ये लोग वो होते हैं, जो हर वक्त केवल अपनी भलाई के बारे में सोचते हैं और बाकी दुनिया का उन्हें कोई परवाह नहीं होता। अगर आप सड़क पर गिर जाएं, तो ये आपको उठाने के बजाय आपके जूते की ब्रांड देखकर कॉपी करने की सोचेंगे।
स्वार्थी लोग अपनी जिंदगी को इस तरह चलाते हैं, जैसे कि वे किसी एकल नाटक के मंच पर हों, जिसमें बाकी लोग केवल बैकग्राउंड का हिस्सा हैं। इन्हें लगता है कि पूरी दुनिया केवल उनके लिए बनी है। और बाकी लोग तो बस दर्शक हैं। अगर किसी स्वार्थी व्यक्ति से आप मदद मांग लें, तो उसकी हड्डियों में कंपकंपी दौड़ जाती है। तुरंत वो अपनी शारीरिक और मानसिक कमजोरियों का हवाला देकर ऐसे बच निकलता है, जैसे किसी युद्ध का एलान हो गया हो।
स्वार्थियों का पसंदीदा वाक्य होता है, “मुझे क्या मिलेगा?” अगर किसी काम में उनका फायदा नहीं दिखता, तो वह काम उनके लिए नहीं होता। जैसे कि अगर आप उनसे किसी सामाजिक कार्य में सहयोग मांगें, तो वो उस समय अचानक इतने व्यस्त हो जाएंगे जैसे उन्हें यूनाइटेड नेशन्स की मीटिंग अटेंड करनी हो।
यह लोग हर रिश्ते में भी बस एक ही सिद्धांत अपनाते हैं- “लेना है तो लेना है, देना नहीं है।” चाहे दोस्ती हो, प्यार हो, या परिवार। स्वार्थी लोग सब जगह अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को ही तवज्जो देते हैं। उनके लिए रिश्तों का मतलब सिर्फ फायदा और अवसर होता है।
और हां, अगर आपने कभी स्वार्थी लोगों से उनके स्वभाव पर सवाल किया, तो वो आपको ऐसा जवाब देंगे मानो आप ही दुनिया के सबसे बड़े मुर्ख हों। उनकी समझ में तो उनका हर काम सही है- वो खुद को “प्रैक्टिकल” मानते हैं, भले ही बाकी दुनिया उन्हें स्वार्थी कहे।
तो भाइयो और बहनों, स्वार्थी लोग समाज के वो किरदार हैं, जो अपनी ही दुनिया में मग्न रहते हैं। उनसे उम्मीद करना ठीक वैसा ही है जैसे कछुए से कहो कि वह फर्राटा दौड़े। इनसे भलाई की उम्मीद करना खुद को धोखा देने के बराबर है। सबसे अच्छा है, इनसे दूरी बनाए रखना और अपने रास्ते पर चलते रहना।