पितृपक्ष में क्या खाएं और किन चीजों से करें परहेज: इस तरह की गलती भी मत करिएगा, धर्म और स्वास्थ्य का ध्यान रखें
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) का विशेष महत्व है, जो 16 दिनों तक चलता है। इस दौरान लोग अपने पितरों को तर्पण, श्राद्ध और पूजा-पाठ के माध्यम से श्रद्धांजलि देते हैं। साथ ही, इस अवधि में खान-पान से जुड़ी कुछ खास परंपराएं और नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है।
पितृपक्ष के समय में कुछ खाद्य पदार्थों को खाने से परहेज किया जाता है, जबकि कुछ को विशेष रूप से ग्रहण किया जाता है। आइए जानते हैं इस दौरान क्या खाएं और किन चीजों से परहेज करें।
पितृपक्ष में क्या खाएं
- सात्विक भोजन: पितृपक्ष के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना उचित माना जाता है। इसमें दाल, चावल, रोटी, सब्जी, फल और दूध से बने पदार्थ शामिल होते हैं। यह भोजन शरीर को शुद्ध रखने के साथ ही मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है।
- खिचड़ी और कद्दू: पितृपक्ष में खिचड़ी और कद्दू का विशेष महत्व होता है। कई स्थानों पर श्राद्ध के दौरान कद्दू (लौकी) की सब्जी और खिचड़ी का भोग लगाकर इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
- तुलसी का उपयोग: भोजन में तुलसी के पत्तों का उपयोग किया जा सकता है। तुलसी धार्मिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है और इसे पवित्र माना जाता है।
- दूध और घी: इस समय दूध और घी का सेवन उत्तम होता है। यह न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि धार्मिक परंपरा के अनुसार इसे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
पितृपक्ष में किन चीजों से करें परहेज
- मांस-मछली और अंडा: पितृपक्ष के दौरान मांस, मछली और अंडा जैसे तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है। श्राद्ध पक्ष में इन चीजों का त्याग करके पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा और तर्पण किया जाता है।
- लहसुन और प्याज: श्राद्ध के समय में लहसुन और प्याज का सेवन भी निषेध है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह तामसिक पदार्थ हैं, जो मन को अशांत करते हैं और इसे इस समय नहीं खाना चाहिए।
- शराब और नशीले पदार्थ: पितृपक्ष के दौरान शराब और किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन वर्जित है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से गलत है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है।
- तला-भुना और मिर्च-मसाला: इस अवधि में अत्यधिक तला-भुना भोजन, तेज मिर्च-मसाले वाले खाने से भी परहेज करना चाहिए। यह भोजन शरीर और मन को अशुद्ध करता है, जो श्राद्ध पक्ष के नियमों के विपरीत है।
धार्मिक और स्वास्थ्य का ध्यान रखें
पितृपक्ष में खान-पान से जुड़े ये नियम केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। सात्विक भोजन शरीर और मन को शांति प्रदान करता है, जबकि तामसिक और राजसिक भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए पितृपक्ष में इन परंपराओं का पालन कर न केवल पितरों की आत्मा को शांति दें, बल्कि स्वयं को भी शुद्ध रखें।