शारदीय नवरात्रि 2024: जानिए कलश स्थापना से लगायत पूजा से संबंधित सभी जानकारी, इन बातों का ख्याल रखिएगा
पंडित लोकनाथ शास्त्री
वाराणसी: हिन्दू धर्म में मां दुर्गा जी की पूजा किये जाने का विधान है। विशेष तौर से नवरात्रि के दिनों में दुर्गा मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता के आशीर्वाद से भक्तों के सभी प्रकार के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
इसलिए साधारण व्यक्तियों से लेकर देव गणों ने भी मां का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी सच्चे हृदय से आराधना की है। शास्त्रों में मां दुर्गा को आदि शक्ति और परब्रह्म कहकर पुकारा गया है।
श्रीकृष्ण इस मां दुर्गा की आराधना में कहते हैं कि तुम परब्रह्मस्वरूप, सत्य, नित्य एवं सनातनी हो। परम तेजस्वरूप और भक्तों पर अनुग्रह करने हेतु शरीर धारण करती हो। तुम सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी, सर्वाधार एवं परात्पर हो। तुम सर्वाबीजस्वरूप, सर्वपूज्या एवं आश्रयरहित हो। तुम सर्वज्ञ, सर्वप्रकार से मंगल करने वाली एवं सर्व मंगलों की भी मंगल हो।
चूंकि मां दुर्गा का स्वरूप इतना विशाल है कि उनकी शब्दों में व्याख्या कर पाना संभव नहीं है। किंतु फिर भी उनके भक्त संसार के कण-कण में उनका वास पाते हैं। मां दुर्गा की स्तुति के लिए संस्कृत का एक श्लोक बेहद प्रचलित है। यह श्लोक कुछ इस प्रकार है
दुर्गा स्तुति हेतु श्लोक
या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थितः | या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थितः | या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थितः | नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमो नमः |
यूं तो मां दुर्गा स्तुति के लिए अनेक श्लोक पद्य रूप में रचे गए हैं तथा उनकी स्तुति भी भिन्न-भिन्न रूपों में की जाती है। इनमें से सर्वाधिक लोकप्रिय दुर्गा स्तुति इस प्रकार है –
जय भगवति देवी नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे। जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवी नरार्तिहरे॥1॥
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे। जय देवी पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥
जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते। जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥
जय देवी समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे। जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥
एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:। गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥
कलश स्थापना का मुहूर्त-शारदीय नवरात्र 03 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर तक हैं। 11 अक्टूबर को नवमी है और फिर 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाता है। 03 अक्टूबर को पहले नवरात्र पर कलश स्थापना होती है और फिर नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों के होंगे। इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्तूबर से आरंभ हो रहे हैं। यह 11 अक्तूबर तक चलेंगे। इस वर्ष माता पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्र आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 3 अक्तूबर दिन गुरुवार से शुरू हो रहे हैं।
प्रतिपदा तिथि तीन अक्तूबर की अर्ध रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो रही है और चार अक्तूबर की रात 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। नवरात्र संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ नौ रात है। इन नौ दिनों में उपवास रखकर दुर्गा देवी की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तसती का पाछ, दुर्गा स्त्रोत और दुर्गा चालीसा के साथ राम चरितमानस का भी पाठ किया जाता है।
भक्ति भाव से आराधना करने से दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं। उन्होंने बताया इस बार माता पालकी में आ रहीं हैं। नवरात्र की शुरूआत गुरुवार अथवा शुक्रवार से होती है तो माना जाता है कि माता पालकी या डोली में आ रहीं हैं।