शेरो-शायरी: अदब की महफिलों का चिराग, दिलों के जज़्बात को लफ्ज़ों में पिरोकर सुनने वाले को अपने जादू में बांधना इसे कहते हैं
नई दिल्ली: शेरो-शायरी, जो भारतीय अदब का एक अहम हिस्सा है, दिलों के जज़्बात को लफ्ज़ों में पिरोकर सुनने वाले को अपने जादू में बांध लेती है। चाहे ग़म हो या ख़ुशी, इश्क़ हो या तन्हाई, हर एहसास का शेरो-शायरी में अनोखा अंदाज देखने को मिलता है। उर्दू अदब की यह परंपरा आज भी महफिलों और कवि सम्मेलनों की रौनक बनकर जिंदा है।
ग़ज़ल: शेरो-शायरी का खूबसूरत रूप
ग़ज़ल, शेरो-शायरी का वह रूप है जो इश्क़ और तन्हाई के एहसास को गहराई से बयां करता है। मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तकी मीर, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जैसे शायरों ने ग़ज़ल को ऐसी ऊंचाई पर पहुंचाया है कि आज भी उनकी शायरी सुनने वालों के दिलों में घर कर जाती है। ग़ालिब का यह शेर आज भी अदब की दुनिया में मशहूर है:
“हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी, कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले।”
महफिलों का जादू
आज भी बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक शेरो-शायरी की महफिलें सजाई जाती हैं। शायर अपनी कलम से निकले जज़्बात को आवाज़ देकर महफिल को चार चांद लगा देते हैं। इस दौर में भी युवा पीढ़ी का शेरो-शायरी की तरफ रुझान बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर शायरी का एक अलग ही अंदाज देखने को मिलता है, जहां नए शायर अपनी रचनाएं साझा करते हैं और लाखों लोग उनसे प्रभावित होते हैं।
इश्क़ और तन्हाई: शेरो-शायरी का प्रिय विषय
शायरी का सबसे आम विषय इश्क़ और तन्हाई है। ये दो भावनाएं शायरी की आत्मा हैं। इश्क़ के दर्द और तन्हाई की बेचैनी को शायर अपने लफ्जों में इस खूबसूरती से पेश करते हैं कि हर दिल उसका दीवाना हो जाता है। जैसे:
“तेरा नाम लूँ जुबां से, ये और बात है, दिल से पुकारूँ तुझे, ये हक़ अदा करूँ।”
वर्तमान में शेरो-शायरी की स्थिति
बदलते वक्त के साथ शेरो-शायरी का अंदाज भी बदल रहा है। आजकल की शायरी में भी ग़ज़ल, रुबाई, और मुक्तक का महत्व बरकरार है, लेकिन इसमें नए विषय और आधुनिक समस्याओं को भी जगह दी जा रही है। शायर अब केवल इश्क़ और जुदाई की बात नहीं करते, बल्कि समाज के मुद्दों को भी शायरी के माध्यम से उठाते हैं।
फिल्मों में शेरो-शायरी का असर
भारतीय फिल्मों में भी शेरो-शायरी का गहरा असर देखने को मिलता है। कई फिल्मों के गानों और डायलॉग्स में शायरी का इस्तेमाल किया गया है, जो दर्शकों के दिलों में उतर जाती है। साहिर लुधियानवी, गुलज़ार, और जावेद अख्तर जैसे मशहूर गीतकारों ने फिल्मों के जरिए शायरी को एक नए मुकाम पर पहुंचाया है।