लोलार्क षष्ठी: संतान प्राप्ति की कामना से 35 घंटे इंतजार के बाद शुरू हुआ स्नान, दंपतियों ने लगाई तीन डुबकियां
वाराणसी: लोलार्क षष्ठी पर संतान प्राप्ति की कामना से श्रद्धालुओं ने 35 घंटे लंबा इंतजार किया, जिसके बाद रविवार देर रात लोलार्क कुंड में स्नान शुरू हुआ। सोमवार सुबह कुंड पर प्रबंधों और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए संयुक्त पुलिस आयुक्त डॉ. के एजिलरसन पहुंचे। उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों को सतर्क और मुस्तैद रहने के निर्देश दिए।
पूर्वांचल के जिलों से हजारों की संख्या में आए श्रद्धालु पहले से ही लोलार्क कुंड की बैरिकेडिंग में पांच किलोमीटर लंबी कतारों में प्रतीक्षा कर रहे थे। रविवार की मध्यरात्रि के बाद से स्नान का सिलसिला शुरू हुआ, जबकि कुछ भक्त उदया तिथि के अनुसार सूर्योदय के बाद स्नान करेंगे।
तीन डुबकियां और आस्था का प्रतीक
भाद्रपद शुक्ल षष्ठी पर मान्यता है कि लोलार्क कुंड में पत्नी के साथ तीन बार डुबकी लगाने से निसंतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह स्नान देर रात से लेकर सोमवार पूरे दिन चलेगा। दंपतियों का कहना है कि वे एक दिन पहले से ही कतार में खड़े थे, जबकि कई अन्य भक्त रविवार दोपहर से यहां जुटने लगे।
अस्सी और भदैनी में भक्तों का जमावड़ा
लोलार्क कुंड के आसपास अस्सी और भदैनी की गलियों में भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा। जगह-जगह भक्त चूल्हा जलाकर प्रसाद तैयार कर रहे थे। कई लोग पूरे परिवार के साथ धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए।
सूनी गोद में गूंजती है किलकारी
लोलार्क कुंड की धार्मिक मान्यता है कि यहां स्नान करने से निसंतान दंपतियों की सूनी गोद भर जाती है। 50 फीट गहरे और 15 फीट चौड़े इस पवित्र कुंड में तीन ओर से सीढ़ियां हैं, जो इसे एक खड़े कुएं का स्वरूप देती हैं। आस्था और विश्वास से जुड़े इस कुंड में हर साल हजारों दंपती संतान प्राप्ति की कामना से आते हैं।
कुंड स्नान और दान की महत्ता
काशी के काशीखंड में वर्णित है कि लोलार्क षष्ठी के दिन लोलार्क कुंड में स्नान करने से संतान सुख प्राप्त होता है और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। दंपतियों द्वारा कुंड में तीन डुबकी लगाने के बाद लोलार्केश्वर महादेव की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है।