Gupt Navratri Kalash Sthapna 2024: गुप्त नवरात्रि पर करने जा रहे हैं कलश स्थापना? जान लें सही विधि और शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. साल में 4 बार गुप्त नवरात्रि पड़ती हैं और हर नवरात्रि का अपना अलग महत्व होता है. यह गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधना करने वाले वालों के लिए सबसे खास होती है. गुप्त नवरात्रि में विधि-विधान और तंत्र मंत्र के साथ मां दुर्गा की पूजा करने से सभी प्रकार के रोग, दुख और दोष समाप्त हो जाते हैं. गुप्त नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और कलश स्थापन का खास महत्व होता है, क्योंकि इस कलश में सभी देवी-देवताओं का वास रहता है.
इस बार गुप्त नवरात्रि का पर्व दशकों बाद पुनर्वसु नक्षत्र में मनाया जाएगा. गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा के 10 महाविद्याओं की पूजा तांत्रिक विधि से की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है. घट स्थापना करने के लिए कई लोग तांबे का, पीतल का या मिट्टी से बने कलश से स्थापना करते हैं. नवरात्रि में कलश का खास महत्व होता है, इसलिए कलश नया और शुद्ध होना सबसे महत्वपूर्ण होता है. इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और जातक की मनोकामना पूर्ण करती हैं.
कैसे करें कलश स्थापना?
नवरात्रि में पूजा के समय जो कलश स्थापना की जाती है, वह कलश पूजा समाप्ति के बाद ही नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है, इसलिए गुप्त नवरात्रि में मिट्टी से बने कलश की ही स्थापना करना चाहिए, क्योंकि मिट्टी सबसे शुद्ध और पवित्र माना जाती है. मिट्टी से बने कलश स्थापना करने के बाद उसमें मिट्टी से बने कलश का ढक्कन, जटा वाला नारियल, कलावा, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, मौली, अक्षत, जरूर रखना चाहिए.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्रि में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 6 जुलाई सुबह 5 बजकर 11 मिनट से सुबह 7 बजकर 26 मिनट है. इस दौरान आप कलश स्थापना कर सकते हैं. अगर इस मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं तो 6 जुलाई को अभिजीत मुहूर्त यानी सुबह 11 बजे से लेकर 12 बजे तक कर सकते हैं. इन दो मुहूर्त में कलश स्थापना करना शुभ होता है.
कलश स्थापना के नियम
कलश स्थापना करते वक्त इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि उस मिट्टी के कलश पर कहीं भी काला धब्बा बिल्कुल ना हो. अगर कलश में कहीं भी काला धब्बा हो तो उसे बदल दें, नहीं तो पूजा का प्रभाव नकारात्मक पड़ सकता है.
कलश की स्थापना हमेशा ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए. किसी ओर दिशा में कलश को स्थापित करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है.
कभी भी टूटे या खराब कलश को कभी भी स्थापित नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से आपको देवी दुर्गा की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है.
जिस स्थान पर कलश स्थापना की हो, फिर पूरे 9 दिनों तक उसे अपनी जगह से गलती से भी नहीं हटाना चाहिए. कलश स्थापना के दौरान गंदे पानी और काली मिट्टी का इस्तेमाल न करें.