वाराणसी 

धरोहर संरक्षण सेवा: संस्कृति संवाद का आयोजन, शास्त्र के अनुसंधान पर जोर

वाराणसी: शंकुलधारा पोखरा, खोजवा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में धरोहर संरक्षण सेवा संगठन द्वारा एक विशेष संस्कृति संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री राज मंगल पाण्डेय ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में संगठन के प्रमुख संयोजक कृष्णा नन्द पाण्डेय ने सभा को संबोधित किया।

अपने उद्बोधन में पाण्डेय जी ने बताया कि भारत की प्राचीन जाति व्यवस्था समाज के प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार की गारंटी देती थी। उन्होंने कहा, “दुनिया का कोई भी संविधान अपने देश के हर नागरिक को रोजगार नहीं दे सकता, लेकिन हमारे ऋषियों का चिंतन इतना गहन था कि उन्होंने ऐसी व्यवस्था बनाई, जो हर व्यक्ति को रोजगार सुनिश्चित करती थी।” पाण्डेय ने कहा कि यह जाति व्यवस्था एक प्रकार से सनातन धर्म का आर्थिक आधार थी, जो हर जाति के व्यक्ति को उसके पारंपरिक व्यवसाय से जोड़कर रखती थी।

उन्होंने यह भी कहा कि मुगलों और अंग्रेजों की साजिश के कारण यह व्यवस्था विकृत होकर जातिवाद में बदल गई। पाण्डेय ने इसे “व्यवसाय जिहाद” करार देते हुए कहा कि यह हमारी कार्य संस्कृति पर हमला है, जिसका हमें संगठित होकर सामना करना होगा।

कार्यक्रम में रवीन्द्र मौर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “आज हिंदू समाज पर अत्याचार हो रहे हैं, हमारी बहन-बेटियों पर जबरन अत्याचार किए जा रहे हैं। हमें संगठित होकर इसका विरोध करना होगा और हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।”

वक्ताओं में अनुराग सोनकर, चन्द्र देव पटेल, और मोनिका चौहान ने भी अपने विचार साझा किए। अनुराग सोनकर ने कहा कि “सनातन धर्म के विस्तार के लिए शस्त्र के छांव में शास्त्र का अनुसंधान होना आवश्यक है।” वहीं डा. चन्द्र देव पटेल ने कहा कि “हर सनातनी को एक सैनिक बनना होगा, तभी सनातन धर्म के विस्तार का संकल्प पूरा होगा।”

कार्यक्रम का संचालन गौरव मिश्रा ने किया और समापन सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में अनुराग सोनकर, रमाकान्त पाण्डेय, मोनिका चौहान, किसन चौहान, अनिकेत, राहुल समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी ने एक सुर में सनातन धर्म के विस्तार और उसके संरक्षण पर बल दिया।

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