मक्खन से फिसलती जिंदगी की हकीकत: हवा में जीने वाले लोग न पढ़ें, मन चोटिल होने के आसार
व्यंग्य
आजकल बटरिंग, या जिसे आम भाषा में मक्खन लगाना कहते हैं, एक ऐसा कला-कौशल बन चुका है, जो इंसान को वहां पहुंचा देता है जहां सीधा-सच्चा इंसान सपने में भी नहीं सोच सकता। यह कला अगर सही से साध ली जाए तो आपको प्रमोशन, तारीफें, और बॉस की नजरों में VIP दर्जा, सब कुछ मुफ्त में मिल सकता है।
अब देखिए, बटरिंग करने वालों का क्या कमाल होता है। बॉस को सिर्फ एक हल्की-सी कॉफी चाहिए होती है, लेकिन बटरिंग मास्टर को लगा देंगे कि वो कॉफी नहीं, अमृत कलश है, जिसे पीकर बॉस अमर हो जाएगा। “सर, आपकी कॉफी में कुछ जादू है, जैसे आप लेते हैं, वैसे एनर्जी और कहीं नहीं मिलती,” कहकर कॉफी पेश करेंगे। बॉस भी खुश, और बटरिंग मास्टर का स्कोर सीधा 10/10।
ऑफिस में अगर किसी की कमीज का बटन टूट जाए तो बटरिंग एक्सपर्ट कहेंगे, “अरे सर, आप तो ऐसे हैं कि बटन क्या, आपकी पर्सनालिटी के सामने तो पूरी कमीज फीकी पड़ जाती है।” बटन टूटा लेकिन दिल जुड़ गया।
बटरिंग के बिना कोई काम हो ही नहीं सकता। अगर बॉस ने रिपोर्ट मांगी, तो बटरिंग एक्सपर्ट कहेंगे, “सर, ये रिपोर्ट क्या है, आपकी दूरदृष्टि और लीडरशिप का परिणाम है।” रिपोर्ट की गलतियां छिप जाती हैं और बॉस को लगता है कि वो किसी महान वैज्ञानिक से कम नहीं।
वैसे बटरिंग की दुनिया में मक्खन लगाने वाले सिर्फ ऑफिस तक ही सीमित नहीं रहते। घर में भी इनका अलग जलवा है। पत्नी अगर सुबह उठने में देर कर दे तो बटरिंग किंग कहेगा, “अरे, तुम जब सोकर उठती हो तो पूरा घर जगमगा उठता है। सूरज भी तुम्हें देखकर देर से उगता है।”
ऐसे ही बटरिंग कारीगरों के बीच, जिंदगी एक स्लिपरी रास्ता बन चुकी है। जहां काम की मेहनत कम और बटर लगाने का हुनर ज्यादा काम आता है। और अगर आप इस बटरिंग के खेल में नहीं हैं, तो दोस्त, आपकी जिंदगी झंड है।