रामनगर की रामलीला: पक्षीराज जटायु को मोक्ष, शबरी ने श्रीराम को जूठे बेर अर्पित किए, लंका जलने के दिन नजदीक
रामनगर, वाराणसी: रामनगर में चल रही रामलीला ने एक बार फिर दर्शकों को अपने अद्भुत प्रदर्शन से मंत्रमुग्ध कर दिया। रामलीला के 17वें दिन, जब श्रीराम ने सीता को खोजने के लिए निकल पड़े, तो उनकी आंखों में आंसू और दिल में दुःख की लहर थी। “हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी, तुम देखी सीता मृगनयनी!” का उद्घोष सुनकर आस्थावानों के हृदय की धड़कनें तेज हो गईं।
इस लीला के मंच पर श्रीराम और लक्ष्मण ने पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों से सीता के बारे में पूछना शुरू किया। उनके शोक का दृश्य इतना गहरा था कि दर्शक खुद को उनके दर्द में शामिल महसूस कर रहे थे।
इसी दौरान, घायल जटायु से उनकी मुलाकात हुई, जिसने बताया कि रावण ने सीता का हरण कर लिया है। जटायु की अंत्येष्टि करने के बाद, श्रीराम और लक्ष्मण शबरी के आश्रम पहुंचे। शबरी ने उन्हें जूठे बेर का भोग अर्पित करते हुए पंपासर पर्वत की दिशा बताई। उनके समर्पण और प्रेम से दर्शकों की आंखें नम हो गईं।
जब राम और लक्ष्मण पंपासर पहुंचे, तो वहां देवताओं की जय-जयकार गूंज उठी। नारद के आगमन पर, उन्होंने राम से प्रार्थना की कि वे भक्तों के हृदय में सदैव वास करें। सुग्रीव ने राम और लक्ष्मण को देखा, लेकिन पहले संदेह किया। हनुमान ने सुग्रीव को उनके असली परिचय से अवगत कराया।
जब राम ने बाली को एक बाण से मारने की बात कही, तो सुग्रीव ने चुनौती दी कि वह एक बाण से सात ताड़ के वृक्षों को गिरा दें। राम ने यह कर दिखाया, जिससे सुग्रीव का संदेह दूर हो गया और राम के प्रति उनकी भक्ति और विश्वास और गहरा हो गया।
इस अद्भुत लीला का समापन आरती के साथ हुआ, जिसमें दर्शकों ने भगवान श्रीराम के चरणों में श्रद्धा अर्पित की। रामनगर की रामलीला ने एक बार फिर भक्ति, प्रेम और त्याग का अनूठा संदेश दिया, जो दर्शकों के दिलों में सदैव अंकित रहेगा।