धर्म-कर्म पूर्वांचल वाराणसी सबसे अलग 

शिवपुर की रामलीला: केवट की भक्ति और प्रभु श्रीराम की करुणा का अद्भुत संगम

संतोष पांडेय

वाराणसी: शिवपुर की ऐतिहासिक रामलीला में शुक्रवार को भगवान श्रीराम और केवट के मिलन की लीला का अत्यंत भावपूर्ण मंचन किया गया, जिसने दर्शकों को भक्ति और अध्यात्म की गहराइयों में डुबो दिया। इस लीला में न केवल श्रीराम की विनम्रता का चित्रण हुआ, बल्कि केवट की भक्ति और समर्पण ने भी सभी का मन मोह लिया।

रामलीला मैदान से सटे रामभट्ट तालाब में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी को सरयू नदी पार कराने का दृश्य सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया। जब प्रभु श्रीराम अपने वनवास के दौरान सरयू नदी के किनारे पहुंचे, तो वहां केवट से उनका मार्मिक संवाद हुआ। प्रभु श्रीराम ने विनम्रता से केवट से नाव की मांग की, परंतु केवट ने पहले उनके चरण धोने का आग्रह किया।

केवट की भक्ति और श्रीराम की करुणा: केवट ने भगवान श्रीराम से कहा, “हे प्रभु, आपके चरण स्पर्श से शिला नारी बन गई थी, इसलिए पहले मैं आपके चरण धोऊंगा, ताकि मेरी नाव भी सुरक्षित रहे।” इसके बाद केवट ने गंगा जल से भगवान श्रीराम के चरण पखारे और उस जल को अपने पूरे परिवार सहित चरणामृत के रूप में ग्रहण किया। इस दृश्य ने दर्शकों के हृदयों को भक्ति और श्रद्धा से भर दिया।

निःस्वार्थ सेवा का भाव: श्रीराम को गंगा पार कराने के बाद, जब भगवान ने केवट को पार उतराई के रूप में अंगूठी भेंट करनी चाही, तो केवट ने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया। उसने कहा, “प्रभु, आपने मेरी नाव में बैठकर मुझे और मेरे परिवार को धन्य कर दिया, यही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार है।” इस प्रकार, केवट की नि:स्वार्थ भक्ति और प्रभु श्रीराम की करुणा का यह दृश्य शिवपुर की रामलीला का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।

अगली लीला: केवट के बाद की लीला में भगवान श्रीराम का भारद्वाज ऋषि के आश्रम में आगमन दिखाया गया, जिसे शिवपुर थाना परिसर में बड़े ही भव्य रूप से दर्शाया गया। यहां भगवान श्रीराम के आश्रम आगमन और उनके प्रति भारद्वाज ऋषि के आदर भाव को प्रस्तुत किया गया, जिसने रामलीला को और भी अधिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया।

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व: शिवपुर की रामलीला अपनी विशिष्टता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जानी जाती है। यहां का हर मंचन सिर्फ एक नाटकीय प्रस्तुति नहीं, बल्कि भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। केवट और श्रीराम की लीला ने इस वर्ष की रामलीला में आध्यात्मिक ऊर्जा का एक नया आयाम जोड़ा, जो दर्शकों के मन में प्रभु श्रीराम के प्रति अपार श्रद्धा का संचार करता है।

Related posts