ट्रैफिक का महायुद्ध: एक तरफ गाड़ियों का महासागर, दूसरी तरफ पैदल चलते लोगों की सेना, और हम रणनीतिकार
व्यंग्य जिंदगी में चुनौतियां तो ऐसे आती हैं, जैसे शादी में रिश्तेदार- बिन बुलाए, बिन सोचे। सुबह-सुबह उठते ही सबसे पहली चुनौती होती है अलार्म के साथ। वो तो मानो एक युद्ध का शंखनाद हो। अलार्म बजता है और हम उसे बंद करने के लिए ऐसा हाथ बढ़ाते हैं, जैसे यज्ञ में अग्नि समर्पित कर रहे हों। फिर जब आंखें खोलते हैं तो अगले पलों में एहसास होता है कि ऑफिस के लिए लेट हो रहे हैं, और अब सब कुछ ‘फास्ट फॉरवर्ड मोड’ में चलना होगा। चाय बनानी हो…
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