बड़ी बोल सबसे अलग 

ट्रैफिक का महायुद्ध: एक तरफ गाड़ियों का महासागर, दूसरी तरफ पैदल चलते लोगों की सेना, और हम रणनीतिकार

व्यंग्य जिंदगी में चुनौतियां तो ऐसे आती हैं, जैसे शादी में रिश्तेदार- बिन बुलाए, बिन सोचे। सुबह-सुबह उठते ही सबसे पहली चुनौती होती है अलार्म के साथ। वो तो मानो एक युद्ध का शंखनाद हो। अलार्म बजता है और हम उसे बंद करने के लिए ऐसा हाथ बढ़ाते हैं, जैसे यज्ञ में अग्नि समर्पित कर रहे हों। फिर जब आंखें खोलते हैं तो अगले पलों में एहसास होता है कि ऑफिस के लिए लेट हो रहे हैं, और अब सब कुछ ‘फास्ट फॉरवर्ड मोड’ में चलना होगा। चाय बनानी हो…

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बिना ब्रेक वाले जुबान की कथा: गुरु, खुद क्रिकेट में आउट होते हो 5 रन पर, और हिम्मत देखो- सचिन को टिप्स देने का सपना

हमारे समाज में बड़बोले लोग ऐसे प्राणी होते हैं जिनकी जुबान तो फर्राटे से दौड़ती है, पर उनके दिमाग की गति कछुए से भी धीमी रहती है। ये वो लोग हैं जिन्हें हर मुद्दे पर मशवरा देना होता है, चाहे वो मुद्दा उनके पल्ले पड़े या न पड़े। इनकी खासियत यह होती है कि इन्हें हर विषय में विशेषज्ञता हासिल होती है- राजनीति से लेकर क्रिकेट, किचन से लेकर अंतरिक्ष तक, सब पर अपनी ‘अकाट्य बात’ रखेंगे। अब बड़बोलेपन की सबसे मजेदार बात यह होती है कि ये लोग बातों…

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क्वालिटी टेस्ट का महामुकाबला: आज हम असली मतलब समझेंगे, उन्होंने अपने मोटे चश्मे के ऊपर से देखा और कहा

ओमप्रकाश चौधरी व्यंग्य सुबह का समय था और ऑफिस के गलियारे में एक अजीब हलचल थी। आज क्वालिटी टेस्ट होने वाला था। कंपनी के कर्मचारियों की आंखों में न डर था, न उत्साह- बस एक मौन विद्रोह जैसा भाव। हमारे बॉस, जिन्हें हम प्यार से ‘क्वालिटी देवता’ बुलाते हैं, अपनी सटीक नजर और हर चीज में मीनमेख निकालने की आदत के लिए जाने जाते थे। बॉस का प्रवेश हुआ। चेहरे पर वही हमेशा की हिटलरी मुस्कान, जैसे अभी सभी कर्मचारियों को किस्मत के दरवाजे पर धकेल देंगे। “आज हम क्वालिटी…

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मौजूदा दौर का इंसान: खबरें देखने में मजा कॉमेडी शो ज्यादा, खबर भी अब ‘हास्य व्यंग्य’

व्यंग्य इस दौरे-हाजिर के इंसान को देखकर अक्सर लगता है कि अगर शेक्सपीयर आज होते, तो वह “संपूर्ण दुनिया एक मंच है” की जगह “संपूर्ण दुनिया एक मोबाइल है” लिखते। हम इंसान मोबाइल के बिना वैसे ही अधूरे हैं, जैसे बिना दही के समोसा या बिना ऑक्सीजन के सांस। इस दौर में सबसे बड़ा युद्ध इंटरनेट की स्पीड से होता है, और हारने वाले अक्सर ‘रिचार्ज’ में शांति खोजते हैं। आजकल के लोग दिन में कम से कम दस बार ‘पॉजिटिव’ शब्द सुनते हैं। फिटनेस का भी नया मापदंड है-…

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बात से पलटने वाले लोग: आप कभी बोर नहीं होंगे, क्योंकि इनकी हर बात आपको सरप्राइज देगी

व्यंग्य आजकल लोगों को अपनी बात से पलटने में महारत हासिल हो चुकी है। ऐसे लोग पल में माशा, पल में तोला होते हैं। मतलब, अगर कोई उनसे कहे कि “आपने तो कल ऐसा कहा था,” तो वो तुरंत बोलेंगे, “अरे, वो तो कल की बात थी, आज कुछ और सोच लिया।” इन महानुभावों के सामने सुई भी शर्मिंदा हो जाए, इतनी जल्दी घुमाव करने में ये उस्ताद होते हैं। अपने एक साथी से एक दिन पूछ लिया, “भाई, तुमने कहा था कि सर्दियों में जॉगिंग करोगे, क्या हुआ?” तो…

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खानपान प्रतियोगिता के चैंपियन: सेविंग साइज का मतलब होता है जितना हो सके उतना

व्यंग्य हमारे समाज में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो खाने के मामले में अपने आप को किसी खानपान प्रतियोगिता का चैंपियन समझते हैं। उन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे उनकी प्लेट में खाना नहीं, बल्कि कुछ अनमोल खजाना भरा हो। प्लेट का जादू: इन महानुभावों के सामने जब भी कोई डिश आती है, तो उनका पहला काम होता है- प्लेट को इस तरह भरना कि लगता है जैसे उन्होंने किसी ऑल-इंडिया फूड चैलेंज में हिस्सा लिया है। एक बार की बात है, एक मित्र ने सब्जी का एक कटोरा…

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Whatsapp University: क्योंकि यहां ज्ञान के नाम पर जो भी मिलेगा, वह केवल एक क्लिक दूर है

व्यंग्य आजकल हर किसी के पास मोबाइल फोन है, और इसी के साथ शुरू है एक नया और अनोखा विश्वविद्यालय- Whatsapp University। यहां बिना किसी क्लासरूम, बिना किसी पाठ्यक्रम, और बिना किसी शिक्षक के ज्ञान की बौछार होती है। दरअसल, यह एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहां हर छात्र अपने मोबाइल पर अपने पसंदीदा ‘गुरुजी’ से जुड़ता है और जीवन के सबसे बड़े रहस्यों का समाधान ढूंढता है। यहां हर कोई ‘डॉक्टर’ बन सकता है। किसी ने तीन मिनट की वीडियो देखी और वह स्वास्थ्य विशेषज्ञ। किसी ने एक मोटिवेशनल स्पीकर…

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पीठ पीछे की बातें: नकारात्मकता की चाशनी में शब्दों को डुबोकर मिठाई की तरह पेश करने वाली बिरादरी

व्यंग्य जब हम लोग किसी की पीठ पीछे बातें करते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे हम एक ऐसे रियलिटी शो का हिस्सा हैं, जिसमें नायक तो हमेशा दूसरे होते हैं, लेकिन दर्शक हम खुद ही होते हैं। ये वो अद्भुत नाटक है, जिसमें हर कोई महान अभिनेता है, लेकिन कोई भी खुद को देखकर खुश नहीं है। आपने देखा होगा, जैसे ही कोई किसी की पीठ पीछे बुराई करना शुरू करता है, उसका चेहरा ऐसा होता है जैसे उसने कोई बहुत बड़ा राज उजागर किया हो। आंखें चौड़ी, चेहरे…

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टेक्नोलॉजी के जादूगर: नए कलेवर में पुरानी कला, एक Click और आंखों के सामने सब कुछ धुंधला

वयंग्य इन दिनों इंटरनेट पर ऑनलाइन फ्रॉड एक ऐसी कला बन गई है, जिसे देखकर लगता है जैसे किसी ने शातिर कलाकारों की एक नई टुकड़ी बना दी हो। ये लोग सच्चाई और भरोसे का ऐसा मजाक उड़ाते हैं, जैसे कि वो किसी स्टैंड-अप कॉमेडी शो का हिस्सा हों। सोशल मीडिया पर पोज देने वाले ठगों की बात करें तो, ये ऐसे हैं जैसे एक खुशनुमा तस्वीर के पीछे खड़े डकैत। “लॉटरी जीतने का मौका!” कहकर आपका ध्यान खींच लेते हैं। क्या लॉटरी में भाग लेने की कोई उम्र होती…

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झूठी तारीफ करने वाले कलाकार: चीनी और नमक में फर्क जानते हैं? खैर, आइए वाह-वाहियों की दुनिया में

व्यंग्य आजकल समाज में एक अलग ही प्रजाति तेजी से उभर रही है- झूठी तारीफ करने वाले लोग। यह वो लोग हैं, जो अपनी कूटनीतिक मुस्कान के साथ, किसी भी हालात में, आपको ऐसा महसूस करा देंगे कि आप दुनिया के सबसे बड़े कलाकार हैं, भले ही आपने सुबह उठकर चाय बनाते वक्त चीनी और नमक में फर्क न किया हो। अगर आपने कोई बेढंगी सी कविता लिखी, तो ये आपको “दूसरे दिनकर” घोषित कर देंगे। घर की चारदीवारी पर चिड़िया का चित्र बनाओ, तो ये कहेंगे, “वाह! क्या माइकल…

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