बड़ी बोल सबसे अलग 

कॉपी & पेस्ट 3rd पार्ट: वो अमृत जिसने जब्बर स्वाद चखाया, बस इस मंत्र को याद रखना

व्यंग्य कॉपी और पेस्ट, दो छोटे-छोटे शब्द, मगर असर ऐसा कि पूरा संसार बदल जाए। ये वो जादुई मंत्र हैं, जिन्हें अगर सही ढंग से इस्तेमाल कर लिया जाए, तो आदमी का दिमाग ‘सेविंग मोड’ में चला जाता है। मेहनत? किसे जरूरत है उसकी जब दुनिया के सारे आइडियाज़, सोच और नॉलेज इंटरनेट पर ‘फ्री टू यूज’ हैं! कॉलेज के छात्रों के लिए कॉपी-पेस्ट तो किसी वरदान से कम नहीं। “प्रोजेक्ट जमा करो!”- ये सुनते ही हर छात्र का दिल बैठ जाता है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं। बस गूगल…

Read More
बड़ी बोल सबसे अलग 

कॉपी & पेस्ट 2nd पार्ट: हे ज्ञानी! दरिया बहाओ, बटन दबाओ, बुद्धिजीवी बन जाओ

कहते हैं, “ज्ञान अर्जन करना कठिन है।” पर कॉपी-पेस्ट की दुनिया में ये कहावत अब पुरानी हो चुकी है। आजकल का दौर कुछ ऐसा है कि अगर आपके पास एक कंप्यूटर और इंटरनेट है तो आप बिना दिमाग पर जोर दिए भी महान लेखक, दार्शनिक, वैज्ञानिक, और कभी-कभी तो आध्यात्मिक गुरु भी बन सकते हैं। बस ‘Ctrl+C’ और ‘Ctrl+V’ का कमाल, और आप तैयार हैं ज्ञान का दरिया बहाने के लिए! कॉपी-पेस्ट की महानता का आलम तो ऐसा है कि लोग इसे कला मानते हैं। सुबह उठते ही चाय के…

Read More
बड़ी बोल सबसे अलग 

कॉपी & पेस्ट: आधुनिक समाज का “सृजनात्मक” संकट, वर्ड डॉक्यूमेंट में ‘Ctrl+C’ और ‘Ctrl+V’ का मेल

व्यंग्य आजकल का दौर कॉपी और पेस्ट का है। गुरु! लोग समझते हैं कि दुनिया की सारी समस्याओं का हल सिर्फ इन दो शब्दों में है। जैसे ही कोई काम करना हो, फटाक से कॉपी करो और पेस्ट मार दो। भले ही दिमाग की मेहनत को आराम मिल जाए, लेकिन इस कॉपी-पेस्ट की क्रांति ने सृजनात्मकता को चारों खाने चित्त कर दिया है। पहले जमाना था जब लेखक रात भर मशक्कत करते, शब्दों को सजाते, विचारों में घंटों डूबते और फिर जाकर एक लाइन लिखते थे। अब? एक क्लिक और…

Read More
बड़ी बोल सबसे अलग 

ऑफिस 2nd पार्ट: वो जगह जहां लोग छोटे-मोटे ‘राजनीतिज्ञ’ बन जाते हैं, इन खास प्रजातियों को तो जानते ही होंगे?

ऑफिस, एक ऐसा अखाड़ा है, जहां लड़ाई कुर्सी की होती है, लेकिन यहां पहलवान न तो दंड पेलते हैं, न कोई दांव-पेंच लगाते हैं। यहां के पहलवान दिमाग से कसरत करते हैं और जुबान से दांव चलते हैं। जितनी लंबी जुबान, उतना ऊंचा पद! हर ऑफिस में कुछ खास प्रजातियां होती हैं। सबसे पहले आते हैं ‘कुर्सी चिपकू’। ये वो लोग हैं जो एक बार कुर्सी पर बैठ जाएं तो फिर उठने का नाम ही नहीं लेते। भले ही कुर्सी चिपक जाए, पर ये डटे रहते हैं। काम हो या…

Read More
बड़ी बोल सबसे अलग 

ऑफिस की अद्भुत दुनिया: मीटिंग मतलब वो समय जब सब लोग एक ही टेबल पर होते हैं, लेकिन दिमाग छुट्टी पर जा चुका होता है

व्यंग्य ऑफिस, यह वह जगह है जहां आपकी मेज पर जितनी फाइलें होती हैं, उससे कहीं ज्यादा आपकी किस्मत में चाय और कॉफी के कप होते हैं। दिन की शुरुआत “जल्दी काम खत्म कर लेंगे” वाली सोच से होती है, और अंत में आप किसी टारगेट को अधूरा छोड़कर अगले दिन पर टाल देते हैं। पहले दिन जब आप ऑफिस आते हैं, तो आपकी आंखों में चमक होती है, उम्मीदें होती हैं। लेकिन धीरे-धीरे समझ में आता है कि यहां चमकदार आंखें सिर्फ प्रेजेंटेशन स्लाइड्स के बैकग्राउंड के लिए ही…

Read More
बड़ी बोल सबसे अलग 

गैंग्स ऑफ वासेपुर: सोशल मीडिया का नया ट्रेंड, प्रिय नेटिजन्स्, लोश फरमाइए, समझने नहीं, बोलने को डायलॉगस् मिलेंगे

व्यंग्य प्रिय नेटिजन्स्, लोश फरमाइए क्या आप जानते हैं कि “गैंग्स ऑफ़ वासेपुर” केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सोशल मीडिया ट्रेंड भी बन चुकी है? जी हां, इस फिल्म के प्रसिद्ध संवादों और चरित्रों ने ऐसा जादू किया है कि हर कोई खुद को एक स्थानीय गैंगस्टर समझने लगा है। आइए, इस खास ट्रेंड पर एक नजर डालते हैं। सामाजिक मीडिया पर गैंगस्टर बनने की कला “गैंग्स ऑफ़ वासेपुर” ने सोशल मीडिया को एक नया आइडिया दिया है- वर्चुअल गैंगस्टर बनने का। अब आप बिना किसी रीयल लाइफ ड्रामा…

Read More
बड़ी बोल सबसे अलग 

जाम का अद्भुत अनुभव: यही वो क्षण है जब आप अपने चार पहिया रथ में आत्मा की शांति और ब्रह्मा के ध्यान के बीच संतुलन साधते हैं

व्यंग्य क्या आप कभी सोचे हैं कि एक ट्रैफिक जाम, न केवल एक यातायात समस्या है, बल्कि आधुनिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा भी है? हां, यही वो क्षण है जब आप अपने चार पहिया रथ में आत्मा की शांति और ब्रह्मा के ध्यान के बीच संतुलन साधते हैं। आइये, इस अद्भुत अनुभव पर एक गहरी नजर डालते हैं। जीवन के महत्वपूर्ण सबक क्या आपको लगता है कि आपके जीवन के बड़े फैसले हमेशा कागजों पर ही होते हैं? फिर से सोचें! ट्रैफिक जाम के दौरान, आप जीवन के सबसे…

Read More
बड़ी बोल सबसे अलग 

धरना+प्रदर्शन & जनता: एक मजेदार रिश्ता, तमाशा, तर्क और तपाक का अद्भुत मिश्रण

व्यंग्य धरना प्रदर्शन, जिसे आमतौर पर हम लोकतंत्र का ‘शानदार शो’ मानते हैं, वास्तव में एक ऐसा अनोखा समारोह है जहां तमाशा, तर्क और तपाक का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। तो चलिए, इस ‘महान’ आयोजन के विभिन्न पहलुओं पर एक नजर डालते हैं। ध्रुवीकरण का शिखर धरना प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि सभी विरोधियों को एक ही मंच पर लाकर उन्हें ‘एकजुट’ किया जाए। जब भी देश में कोई मुद्दा उठता है, चाहे वह महंगाई हो या बेरोजगारी, हमारे ‘धरनाकार’ महाशय तुरंत एक ऐसा मोर्चा…

Read More
बड़ी बोल सबसे अलग 

शेरो-शायरी: अदब की महफिलों का चिराग, दिलों के जज़्बात को लफ्ज़ों में पिरोकर सुनने वाले को अपने जादू में बांधना इसे कहते हैं

नई दिल्ली: शेरो-शायरी, जो भारतीय अदब का एक अहम हिस्सा है, दिलों के जज़्बात को लफ्ज़ों में पिरोकर सुनने वाले को अपने जादू में बांध लेती है। चाहे ग़म हो या ख़ुशी, इश्क़ हो या तन्हाई, हर एहसास का शेरो-शायरी में अनोखा अंदाज देखने को मिलता है। उर्दू अदब की यह परंपरा आज भी महफिलों और कवि सम्मेलनों की रौनक बनकर जिंदा है। ग़ज़ल: शेरो-शायरी का खूबसूरत रूप ग़ज़ल, शेरो-शायरी का वह रूप है जो इश्क़ और तन्हाई के एहसास को गहराई से बयां करता है। मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तकी…

Read More
बड़ी बोल वाराणसी सबसे अलग 

चाय की चुस्की और भौकाल की पिचकारी: बनारस की हर गली में ‘बाबा’ और हर चौराहे पर ‘गुरु’

व्यंग्य वाराणसी: बनारस की गलियों का अपना अलग ही अंदाज है। यहां के लोग जैसे हवा में जीते हैं, वैसे ही उनकी बातें भी हवा-हवाई होती हैं। चाहे मौसम कैसा भी हो, यहां के लोगों का भौकाल हमेशा टॉप गियर में रहता है। बनारस में अगर किसी से पूछा जाए, “का हो, का हाल बा?” तो जवाब मिलेगा, “अरे हमरे रहते सब बढ़िया बा!” यही वो बनारसी भौकाल है, जो गंगा के किनारे से लेकर अस्सी की चाय तक हर जगह नजर आता है। चाय की चुस्की और भौकाल की…

Read More